प्रिय वित्त मंत्री जी,
आज ही पढ़ा कि मुद्रास्फीति की दर (इन्फ्लेशन रेट) अपने २० साल के निम्नतम स्तर पर आ गई है. सुना था यह पिछले हफ्ते २.४३ थी जो की अब ०.४४ हो गई है. सुनकर अच्छा लगा की अब वस्तुए सस्ती दरो पर मिलेंगी। जो पहले २ रुपए ४३ पैसे में मिलती थी वो वस्तु सिर्फ़ ४४ पैसे में मिल जायेगी। यही सोचकर निकल पड़ा कुछ खरीदने (बनिया हूँ ना तो सस्ता माल जितनी जल्दी हो सके ले लेना चाहिए )।
आइसक्रीम खाने की इच्छा हुई तो कॉर्नर हाउस की याद आई, बहुत पहले (करीबन १.५ साल पहले ) वहां की प्रसिद्द "चॉकलेट से मृत्यु" (death by chocolate) वाली आइसक्रीम खायी थी। उन दिनों उसकी कीमत ७५ रुपए हुआ करती थी। तो बस सोचा अब तो कम से कम आधी हो गई होगी। मुंह में सोचकर ही पानी आ रहा था। दिल अंगडाई ले रहा था. सपनो की नगरी सामने ही नज़र आ रही थी. वहाँ जाकर बिना कीमत देखे एक प्याला बनाने का हुक्म जारी कर दिया। पैसे देने की बारी आई तो पैरों तले ज़मीन निकल गई। इसलिए नही की कीमत बहुत ही कम हो गई थी बल्कि इसलिए की कीमत आसमान छू चुकी थी। अब एक "चॉकलेट से मृत्यु" की कीमत थी १२५ रुपए :O अब समझ में आया की इसका नाम "चॉकलेट से मृत्यु" क्यों रखा गया है :(
तो मंत्री महोदय मेरा प्रश्न यह था की जब आपने घोषणा कर दी है की महंगाई कम हो गई है और वो भी २० साल में सबसे कम तो फिर क्या यह सूचना इन कोने में रहने वाले कॉर्नर हाउस को नही दी गई। इन्होने कीमत घटने की अपेक्षा उसे और बढ़ा दिया है। अब ऐसे मन लुभावन चीजे हम जैसे गरीब अभियंताओ की पहुँच से दूर हो गई हैं।
कृपया इन दूकान वालो के ख़िलाफ़ कठिन से कठिन कार्यवाही की जाए और अगली बार से इनकी दूकान में भी आपके आदेश की सूची को चिपकाया जाए।
धन्यवाद !
-भारत देश का एक जागरूक नागरिक
Thursday, March 19, 2009
मुद्रास्फीति या महंगाई ( या यु कहें कि सस्ताई )..
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